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देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।

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श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

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देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

ॐ अस्य श्रीकुंजिकास्तोत्रमंत्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः,

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